'यवनिका ' संस्था के पहल से निकलने वाली बाल पत्रिका का नया अंक बाज़ार में आ चुका है। बिहार के आरा जैसे कस्बाई शहर से प्रकाशित इस बाल पत्रिका में बच्चे ही लिखते हैं ,बच्चों का ही सारा कुछ किया रहता है ,सिर्फ़ संपादन छोड़कर। एक नज़र सम्पादकीय पर----
..........तो दोस्तों ,"आईना" का नया अंक अब आपके सुकोमल हाथों में है ,यह संयुतांक है ,निश्चित तौर पर आर्थिक पक्ष ने हमें प्रभावित किया ,पर हम धीरे ही सही ,देर से ही सही ,आपके समक्ष हैं .इस एक वर्ष में पत्रिका ने कुछ बच्चों को कुछ कर गुजरने के लिया आंदोलित ज़रूर किया ,पर अभिभावकों की अभिरुचि नहीं रही .शिक्षकों ने भी समर्थन नहीं ही दिखाया ,तभी तो बच्चे स्कूल से छुपकर पत्रिका में लिखना शुरू किए.धीरे ही सही बाल रचनाकारों की संख्या में लगातार वृद्धि ही है .बस बच्चों जो भी तुम सोचों,दुनिया को जैसे भी देखो .... हमें बस लिख भेजो या मेल कर दिया करो॥
बाल महोत्सव का समय है और इस बार हमने बच्चों की सांस्कृतिक गतिविधिओं को ही जगह दिया है .इसलिय यह अंक "बाल महोत्सव" विशेषांक है।....... तो मेरे नन्हे कहानीकारों,बाल कवियों,चित्रकारों आप अपनी रचना को जितना जल्दी हो सके भेज डालो .... जल्द ही हम आ रहे हैं "आईना" को नए तेवर में लेकर ...बाय-बाय