Sunday, December 28, 2008

एक प्रयास बच्चों द्वारा आप के लिए ---आईना

नन्हें मित्रों और अभिभावक गण आईना बाल पत्रिका का मकसद अन्य बाल पत्रिकाओं की भीड़ में एक नया दावेदार खड़ा करना नहीं है क्योंकि यह एक अनोखी बाल-पत्रिका है। यह एक नई क्रांति का सूत्रपात है। एक नया प्रयोग है। एक नई पहल है। यह सचमुच बच्चों की अपनी पत्रिका है। अबतक, बाल पत्रिकाओं में बड़े अपने विचारों को बच्चों पर थोपते रहें ,परन्तु यहाँ बच्चों ने अपने लिए नई रह तलाश ली है। वे अपनी पत्रिका में लिख रहे हैं। आपसे-हमसे प्रश्न पूछ रहे हैं। नए-नए विचार गढ़ रहेहैं ,सबसे बाँट रहे हैं। वैसे तो बेपरवाह मस्तिऔर सब कुछ जान लेने की जिज्ञासा का अक्स है बचपन। पर यहाँ इसने एक नए दायित्व का निर्वाह करने की कोशिश की है .वो है -अपने समाज को सही दिशा देने की। ab थोड़ी इतिहास की बातें कर लेते है। हम अपने छोटे से शहर आरा men bhojpur baal mahotsava जैसा याज्ञिक आयोजन पिछले पाँच वर्षों से करते रहे जिसमें ५०००- ६००० बच्चे भाग लेते रहे। पर मात्र एक महोत्सव कर देने में ही हम-अपनी सार्थकता को-महसूस nअहीं कर प् रहे थे,क्योकि महोत्सव के बाद उन बच्चों के सतत विकास के लिए कुछ नहीं हो पाता था। दूसरी तरफ़ इन बच्चों में हमने एक बेचैनी देखीजो अपने हर सवालों का जवाब पाना चाहते थे। ये वर्ग समाज के उन आयामों पर भी अपनी पैनी नज़र रखता था, जो हम बड़ों की नज़रों से ओझल थे। यानी की इन प्रतिभाशाली बच्चों को एक ऐसे मंच की जरुररत थी जहाँ उन्हें अपनी बात कहने का पुरा मौका mile ही साथ ही साथ उनके विकास की तमाम राहें ख़ुद-बा-ख़ुद खुलती चली जाए। फ़िर क्या था नए साधन गढे गए, nai rahen bane aur hum apane baal rachnakaron ke sath safar par nikal pade.