मै तो कहूँगा की आप लोगों को एक बार बिहार के गावों में अवश्य आना चाहिए. बिहार में विकास हो रहा है ,ये तो जग जाहिर है.मगर मैं आपको भोजपुर के उन सुदूर इलाकों में ले जा रहा हूँ जहाँ बच्चों कीकिलकारियां ,गोली-बारूदों की आवाजों में दब सी जाती थी ......किन्तु आज वहां के बच्चे अपनी भावनाओं को "आईना"नन्हीं तूलिका के मंच से सबके सामने रख रहे हैं.साभार बाल पत्रिका "आईना नन्हीं तूलिका'"
Monday, March 15, 2010
Tuesday, March 9, 2010
मासिक निकलेगी "आईना" बाल पत्रिका
आरा,बिहार से प्रकाशित होने वाली बाल पत्रिका "आईना"का मार्च २०१० से मंथली प्रकाशन शुरू हो गया. बाल पत्रिकाओं की भीड़ में देश की एक मात्र बाल पत्रिका जिसमें बच्चे पत्रकार, कहानीकार,चित्रकार,कवि,कार्टूनिस्ट ,विचारक आदि हैं .इस पत्रिका में कोई भी बच्चा लिख सकता है। बच्चे राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय घटनाओं पर बेझिझक होकर लिख सकते हैं ,मगर हिंदी में। यदि कोई सालाना ग्राहक बनना चाहता है तो हमें अवश्य लिखें .आप "आईना" के अन्दर झाकने की कोशिश करें--
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