मै तो कहूँगा की आप लोगों को एक बार बिहार के गावों में अवश्य आना चाहिए. बिहार में विकास हो रहा है ,ये तो जग जाहिर है.मगर मैं आपको भोजपुर के उन सुदूर इलाकों में ले जा रहा हूँ जहाँ बच्चों कीकिलकारियां ,गोली-बारूदों की आवाजों में दब सी जाती थी ......किन्तु आज वहां के बच्चे अपनी भावनाओं को "आईना"नन्हीं तूलिका के मंच से सबके सामने रख रहे हैं.साभार बाल पत्रिका "आईना नन्हीं तूलिका'"
Monday, March 15, 2010
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